सुत्त पिटक त्रिपिटक (तीन पिटक) का दूसरा और सबसे बड़ा भाग है। इसमें भगवान बुद्ध और उनके प्रमुख शिष्यों के उपदेश संग्रहित हैं। "सुत्त" का अर्थ है "धागा" या "सूत्र" - जो ज्ञान को एक साथ जोड़ता है।
यह पाँच निकायों में विभाजित है: दीघ निकाय (लंबे सुत्त), मज्झिम निकाय (मध्यम सुत्त), संयुत्त निकाय (जुड़े हुए सुत्त), अंगुत्तर निकाय (संख्यात्मक सुत्त), और खुद्दक निकाय (छोटे ग्रंथ)।
यह हिंदी अनुवाद श्रीलंका के महामेवना बौद्ध विहार के संस्थापक, अति पूजनीय भन्ते ज्ञानानंद महाथेरो द्वारा किए गए 'सूत्र पिटक' के सिंहल अनुवाद के आधार पर, महामेवना बौद्ध विहार द्वारा तैयार किया गया है।
दृष्टि का जाल
मध्यम लंबाई के सुत्तों का संग्रह। इसमें 152 मध्यम-लंबाई के सुत्त हैं।